शहीद-ए-आजम भगत सिंह :-जोश-ओ-जुनून

23rd March शहीद-ए-आजम भगत सिंह जोश-ओ-जुनून (कविता) विश्व मनुज से ही बनी, भारत माँ की शान भगत सिंह की सोच का,जग में हो सम्मान।। भारत माता के लिये,सहते थे जो पीर। भगत सिंह से अब कहाँ,जग में दिखते वीर ।। जोश-ओ-जुनून छाया था इस कदर चढ़ गये फाँसी!! भुला दिया स्वत्व स्मरण रहा ममत्व भारत माता से!! देश के जांबाज तमन्ना सरफरोशी की रही जीवनपर्यंत!! घड़ियाल बजे रेडियो,अखबार चीखे बम फैंकने से!! मैं तेरा मुरीद ए आज़ादी नहीं चाहिए मुझे मेरी धड़कती साँसे!! हँसते खिलखिलाते चूम लिया फँदा फाँसी का जोश ओ जुनून जन-मन में भरने को!! देश-सेवा भाव जागृत करने को!! काश !कायम रहे फिर से आबाद रहे एक बार फिर दिख जाये मेरे भारत में शहीदों और वीरों जैसा जोश ओ जुनून!! ...डॉ.पूर्णिमा राय, पंजाब