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राधाकृष्णन जैसा ही, चरित्र अजान हो(शिक्षक दिवस पर विशेष)

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राधाकृष्णन जैसा ही,चरित्र अजान हो (शिक्षक दिवस पर विशेष:मनहरण घनाक्षरी रचनाएं : डॉ पूर्णिमा राय  1* गुरु का सम्मान करें,आज्ञा का पालन करें। सीस गुरु चरणों पे, बार-बार राखिये।। गुरु के वचन सदा, जीवन आधार बने। कथनी करनी सम, व्यवहार राखिये।। गुरु सागर ज्ञान का, ईश्वर का रूप है जो। निस्वार्थ भावना मन ,सदाचार राखिये।। करे नमन "पूर्णिमा", गुरु का आशीष मिले। भक्त प्रहलाद जैसा ,गुरु प्यार राखिये।। ***************************** 2* मिलती जग में कीर्ति ,गुरु के आशीर्वाद से। शिष्य के कर्म से गुरु,जग में महान हो।। कबीर तुलसी सूर सी, बने मनभावना। जगत माया भूल के, गुरु का ही ध्यान हो।। एकलव्य सी दक्षिणा ,देने का हो भाव मन। ऐसे सेवकों के द्रोण ,गुरु पहचान हों।। शिक्षकों का पूजन हो ,सदा मनआंगन में। राधाकृष्णन जैसा ही,चरित्र अजान हो । (मेरी आवाज़ मेरा अंदाज ) https://youtu.be/rLD4OF0iCpw शिक्षक दिवस  https://youtu.be/Vu900TZYQ_A मेरे काव्य-संग्रह "ओस की बूंदें "में संकलित कविताएं 'अध्यापक ' एवं शिक्षक गूँज डॉ.पूर्णिमा राय, शिक्षिका एवं लेखिका, पंजाब