वहीं रावण जलाये जो स्वयं राम है

अचिन्त साहित्य (बेहतर से बेहतरीन की ओर बढ़ते कदम) " वही रावण जलाये जो स्वयं राम है " ( दशहरा -- विशेषांक 2017) यह विशेषांक 2017 में संपादित किया गया था और अचिन्त साहित्य वेबसाइट पर प्रकाशित था।किसी कारणवश मेरी वह वेबसाइट बंद हो गई ।अब आज अपने ब्लॉग अचिन्त साहित्य पर प्रकाशित कर रही हूँ। विजयदशमी / दशहरा की सभी को हार्दिक बधाई!! इस विशेषांक को अपनी बेहतरीन रचनाओं से सजाने वाले सभी रचनाकारों ,सुसाहित्यकारों का हार्दिक आभार!! रचनाएं एवं रचनकार 1)वही रावण जलाये,जो स्वयं राम है:डॉ.पूर्णिमा राय 2)विजय दशमी :बलविंदर अत्री 3)क्योंकि हम राम न हुए: डॉ भावना तिवारी 4)रावण महाज्ञानी :दीपक कुमार 5)ਦੁਸਹਿਰਾ :रघबीर सिंह सोहल 6)गुण हैं जिसमें राम के,रावण जलाने का अधिकार उसे : राजबाला "राज" 7)मैं रावण बोल रहा हूँ:सुशील शर्मा 8) दशहरा :कल्पना मनोरमा 9)शायद रावण नही मरेगा :सुशीला जोशी 10)रावण अभी जिन्दा है: बृजेश अग्निहोत्री "पेंटर" 11)और र...