चोका

चोका 1)धन्य अभिभावक रूहें मिलती दीदार-ए-इश्क से रूबरू होता जब हुस्न हसीन झंकृत मन विस्तृत संवेदना इहलोक से शून्य की परिधि में समाहित हो खिल उठते फूल मौन की भाषा करती है संवाद नैनों के आँसू कहें विरह गाथा तन का रोग नहीं कष्टदायक हृदय पीर क्यों है असहनीय नवल रिश्ते छूट जाते पुराने बुजुर्गों से क्यों कन्नी हैं कतराते लब दुआएं हर हाल में देते औलाद सुख सर्वोपरि रखते साथ निभाते फर्ज कर्तव्य संग धन्य अभिभावक !! ****************************************** 2) चुनावी नेता चुनावी नेता अदब का भाषण लोग पूजते हुआ फूल माला से सदा स्वागत भेड़ चाल सी यह चाल घिनौनी भोली जनता देख रही तमाशा मद में चूर लड़खड़ाते नेता ढींगे हाँकते बने हवाई किले पल में ढेर आड़े हाथों से लिया सफेदपोश मुखौटाधारी नेता जागृत जन समझ गये अब कुर्सी का खेल गिल्ली डण्डे मानिंद नहीं घूमना गिल्ली बनकर वोट का डण्डा नचायेगा नेता को समझा जन-जन!! ****************************************** 3)विश्वास सुनो मोहन मैं हो गई तुम्हारी बँसी की धुन कर देती है मुग्ध आस की डोर बाँधी है विश्वास से तन अर्पित मन...