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Showing posts from January, 2022

वीर सुभाषचंद्र बोस जन्मदिन पर विशेष (Dr.Purnima Rai

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वीर सुभाषचंद्र बोस  वीर बोस की कुर्बानी को, याद सदा ही रखना है;  भूल गये जो अपने हित को,प्रेम हमेशा करना है।। रक्त उफान भरा था सबके,आजा़द ने पुकारा था;  बर्मा सम्मेलन में जिसने ,जन-मन को संवारा था;  फौज हिन्द की कायम करके,जोश दिलों में भरना है।  वीर बोस की कुर्बानी को,याद सदा ही रखना है;.. नवयुवकों में जोश भर दिया,दुश्मन को ललकारा था;  भरी जवानी में नेता ने ,जीवन अपना वारा था;  देशभक्त सुभाष के जैसे,देश-प्रेम हित मरना है।।  वीर बोस की कुर्बानी को,याद सदा ही रखना है;.... drpurnima01.dpr@gmail.com

बिन मांगे सब कुछ मिला (दोहे)

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बिन मांगे सब कुछ मिला (दोहे)  दो अक्षर के मेल से ,बनता है सहयोग इक दूजे का साथ दें, जग के सारे लोग मैं मेरी में क्या धरा, तू-तू मैं-मैं छोड़ अहंकार को छोड़कर, मन से रिश्ते जोड़ मिलकर पक्षी उड़ चले, लेकर नभ में जाल मुंह शिकारी ताकता,हुआ हाल-बेहाल घर-आंगन संवार लें,भूलें सारा बैर शिक्षा से झोली भरें, करें विश्व की सैर अनुशासन की नींव पर,सरपट दौड़े रेल खेल दिवस में भाग लें, मिलकर खेलें खेल सुन लो बच्चों ध्यान से, मिले तभी सम्मान  समय करें न नष्ट कभी,पढ़ने पर दें ध्यान मात-पिता की बात का,रखे 'पूर्णिमा' 'मान बिन मांगे सब कुछ मिला,सफल हुआ संज्ञान डॉ पूर्णिमा राय, पंजाब drpurnima01.dpr@gmail.com

काला बूट

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काला बूट( लघुकथा) बच्चों तुम रोज क्यों  लेट हो जाते हो? काफी पूछताछ के बाद पता चला कि ये बच्चे अनाथ हैं। ऐसा नहीं कि इनके माँ-बाप नहीं है बल्कि इनको दो वक्त की रोटी देने में इनके माता-पिता असमर्थ हैं।अब माँ-बाप भी क्या करें,चार-पाँच बच्चे पैदा तो कर लिये बिन सोचे समझे!!अब वह नन्हीं जानें अपना पेट कैसे भरें!पानी पीकर ही तो भूख शान्त न होती!खैर ये तो रोज की ही समस्या है ।कब तक सोचते रहेंगे!कितनों को खुद के पैसे खर्च करके खाना खिलायेंगे।अपने आप से बात करते हुये अध्यापिका अपनी कक्षा की ओर चली गई।यह सोच आज 100 में से 95 लोगों की होती है।फिर एक ठेके पर रखा अध्यापक कैसे इन बच्चों के साथ सामंजस्य स्थापित करे।उन्हें खिलाये कि पढ़ाये!!चौथी कक्षा का हरप्रीत खुश था।आज एक नया गबरु जवान अध्यापक स्कूल में आया था।पेंट-शर्ट, टाई पहने हुये काले रंग के नये बूट उस जवान पर बहुत जंच रहे थे।अपने अनुमान से ही हरप्रीत को पता चल गया कि यह तो हम बच्चों को ही पढ़ाने हेतु नियुक्त हुये हैं।कदमों की रफ्तार बढ़ने पर कच्चे मैदान की धूल से काले बूट सफेद हो गये थे।रुकिये सर!आवाज सुनते ही अध्यापक ठिठक गया।एक नन्हां म...