शब्दों के मोती (अन्तर्राष्ट्रीय काव्य प्रतियोगिता) - मिला प्रशंसा- पत्र (डॉ.पूर्णिमा राय)


शब्दों के मोती (अन्तर्राष्ट्रीय काव्य प्रतियोगिता) मिला प्रशंसा- पत्र (डॉ.पूर्णिमा राय)



यह जीवन एक प्रतिस्पर्धा है ,प्रतियोगिता है। प्रतिपल इंसान किसी न किसी लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सदैव आगे बढ़ता रहता है। मंजिल को पाने की ललक उसके कदमों की रफ्तार को सदैव तीव्र करती रहती है ।कभी उबड़-खाबड़ रास्ते आयें, कभी समतल मैदान आयें तो भी इंसान अपने लक्ष्य के लिए निरंतर कार्य करता ही रहता है। लेखन कार्य भी एक तरह से साहित्यिक मंजिल को पाना ही है। साहित्यिक दिशा में खुद को बेहतरीन करने में प्रयासरत रहने वाला साहित्यकार नित्य नई मंजिल को पा लेता है। प्रतियोगिताएं जीवन में हमें यही सिखाती है कि आगे बढ़ो, जिंदगी रुकने का नाम नहीं है ,इसी लक्ष्य से मैं भी निरंतर साहित्य क्षेत्र में होने वाली प्रतियोगिताओं में भाग लेती रहती हूं। स्टोरीमिरर साहित्यिक वेबसाइट, वेब मैगजीन पर अपनी रचनाओं को निरंतर प्रकाशित करना, उस में होने वाली प्रतियोगिताओं में भाग लेना मुझे बहुत अच्छा लगता है। चाहे मुझे प्रथम स्थान मिले या ना मिले, प्रशंसा पत्र मिले या ना मिले इसका मुझे कभी भी लोभ नहीं रहा है और ना ही रहेगा। पर जब भी कभी प्रशंसा-पत्र मिलता है, प्रतिभागी सम्मान प्राप्त होता है तो मन के किसी कोने में जिंदगी जीने की चाह फिर से पैदा हो जाती है ।बस इसी तरह यह जिंदगी और साहित्य कर्म निरंतर आगे बढ़ता रहे, यही मेरी मनोकामना है।





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