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Showing posts from August, 2022

हिंदी दिवस (गीत)

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 हिंदी दिवस (गीत)   (डॉ.पूर्णिमा राय) नाच लो गा लो मौज मना लो       हिंदी दिवस फिर आया है। भारत देश की सुप्त आत्मा        को जगाने आया है।। हिंदी में हस्ताक्षर करना        सब का ये ही कहना है, हिंदी बोली मीठी लगती        हिंदी दिल में रखना है, पंजाबी,अंग्रेजी,हिन्दी का        भेद मिटाने आया है। नाच लो गा लो मौज मना लो      हिंदी दिवस फिर आया है...।। हिंदी का अखबार पढ़ो और      हिंदी ज्ञान बढ़ाओ तुम, हिंदी कविता,लेख लिखो और  मैगज़ीन में छपवाओ तुम, शुद्ध हिंदी बोलें और समझें  जग को सिखाने आया है। नाच लो गा लो मौज मना लो      हिंदी दिवस फिर आया है...।। हिंदी इतनी नहीं है मुश्किल  जितनी हमको लगती है, भारत देश के भाल पे देखो  हिंदी बिंदी सजती है, चौदह सितम्बर हिंदी दिवस की याद दिलाने आया है। नाच लो गा लो मौज मना लो      हिंदी दिवस फिर आया है...।। डॉ.पूर्णिमा राय, शिक्षिका एवं लेखिका आलोचना पुरस्कार विजेता...

वह औरत

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  वह औरत ( लघुकथा) उफ!कभी सात बजे आ धमकता तो कभी 10बजे!   रात के साढे आठ बज गये हैं !और यह दूध वाला  क्या करूँ!बिना दूध के गुजारा भी तो नहीं होता !मैडम जी,दूध ले जाओ !आवाज़ सुनकर लतिका थोड़ी आग बबूला हुई बर्तन लेकर दूध लेने चली गई।सड़क के दूसरी ओर से एक औरत हाथ में बर्तन लिये और साथ में शायद तीन बच्चियाँ जो नंगे पाँव तथा जिनके जिस्म पर ना मात्र के ही वस्त्र थे,उम्र यही 6साल ,4साल और 2 साल के पास होगी।संग लिये ऊँची-ऊँची बोलती हुई,तुमने मुझे दूध क्यों न दिया ।मेरे घर के बाहर तू रुका क्यों नहीं !बता ,जल्दी बोल!उसे इस तरह बात करते हुये लतिका दूध डलवाते हुये एक नज़र उस औरत पर  डालती,फिर एक नज़र दूधवाले की ओर  !आप लोग हमें तीन महीने हो गया,दूध का पैसा न दिया !--दूधवाला बोला! अरे,वह तो मेरी अम्मा का हिसाब-किताब है !मैं तो यहाँ परसों से आई हूँ ।मैंने तो जब भी आधा किलो दूध लिया,पैसे दिये थे न!वह मिन्नत की स्थिति में कह रही थी..चल डाल दे दूध!पर दूध वाला नहीं मान रहा था!इसी बीच लतिका चुपचाप घर के भीतर आ गई।उनके आपसी झगड़े को वह महसूस कर रही थी।किचन में आकर चार पैकेट बिस्किट के ल...

आँचल (लघुकथा)

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आँचल (लघुकथा) स्कूल लगने की घंटी के साथ ही सब छात्र-छात्राएं कतारों में खड़े होकर ईश वंदना करने लगे।राष्ट्र गान जन गण मन की मधुर धुन के बजते ही अदब से सभी  बिना हिलजुल के खड़े हो गये।अब आपके सामने नवम् कक्षा की आँचल आज का विचार पेश करेगी, अध्यापक के संबोधन को सुनकर सब तालियाँ बजाते हुये आँचल के स्टेज पर आने की प्रतीक्षा करने लगे। एक साँवली सी लड़की अपनी मधुर आवाज़ में बोली,परिवार !! और साथ ही रो पड़ी!!सभी हतप्रभ से  आँचल को निहारने लगे ।ये लड़की तो सदैव हँसती खिलखिलाती नजर आती थी,हरेक कार्य में निपुण ,आज आँसुओं भरी आँखों से बस एक ही शब्द परिवार कहकर चुप क्यों हो गई।सुबकती आँचल ने आँचल से भीगी आँखें पोंछते कहा,मेरा परिवार बिखर गया।मेरे दादा जी ने पापा को घर से निकाल दिया ।दादा जी के बार-बार समझाने पर भी पापा ने मम्मी को सबके सामने मारना,गाली गलौच करना बंद न किया था।और शराब पीने से परहेज न किया।अचानक प्रिंसीपल ने पीछे से आँचल के कँधे पर हाथ रखकर उसे धैर्य बँधवाते कहा,तुम्हारे दादा जी ने तुम्हारे पिता को सबक सिखाने के लिये ऐसा किया है।तुम घबराओ मत! स्कूल एक मंदिर है और हम सब यहाँ एक पर...

पावन प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन by Dr Purnima Rai

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पावन प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन by  Dr Purnima Rai रक्षा बन्धन आ गया, बहना का ले प्यार। दिवस 'पूर्णिमा' कर सजे,रक्षाबंधन तार।। आत्मीयता और स्नेह के बंधन से रिश्तो को मजबूती प्रदान करने का पर्व रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भारतीय समाज में व्यापकता और गहराई से समाए हुए इस पर्व के दिन लड़कियां और महिलाएं पूजा की थाली सजाकर अपने भाई को राखी बांधने के लिए जाती है ।अभीष्ट देवता की पूजा करने के बाद रोलिया हल्दी का टीका लगाकर भाई की आरती उतारती है और दाहिनी कलाई पर राखी बांधती हैं ।इसके बदले में भाई बहन की रक्षा का वचन लेता है और उसे उपहार में कोई धनराशि या कोई अमूल्य वस्तु प्रदान करता है। रक्षाबंधन तार, राखियाँ प्यारी चमके । शाश्वत केवल प्यार, बहन के मुख पे दमके। राखी के रंग-बिरंगे धागे बहन-भाई के रिश्ते को दृढ़ता प्रदान करते हैं ।बहन-भाई के प्रेम का सूचक यह त्यौहार देशकाल, भाषा-जाति की सीमाओं से परे गुरु- शिष्य कि रिश्ते को भी राखी के पवित्र धागों में बांधता है। कहते हैं जब कभी शिष्य गुरुकुल से शिक्षा लेकर विदा होता था तो शिष्य अपने गुरु का आशीर्वाद पाने के लिए अ...