गुरुमुखी देे वारिस हिंदी काव्य मंच" : "शाम-ए-महफिल" कार्यक्रम का हुआ सफल आयोजन :एक रिपोर्ट (पोस्ट संख्या-85)
पोस्ट संख्या-85
"गुरुमुखी देे वारिस हिंदी काव्य मंच" : "शाम-ए-महफिल" कार्यक्रम का हुआ सफल आयोजन
(सौजन्य : गुरमखी दे वारिस पंजाबी साहित्य वेल्फेयर सोसायटी (रजि)
आज दिनांक 27/5/23 दिवस शनिवार को गुरुमखी दे वारिस पंजाबी साहित्य वेल्फेयर सोसायटी (रजि)के चेयरमैन गुरवेल कोहालवी के सौजन्य एवं डॉ पूर्णिमा राय "गुरुमुखी देे वारिस हिंदी काव्य मंच" (महासचिव) के प्रबंधन में आनलाइन काव्य गोष्ठी -प्रथम शाम-ए-महफिल समय सांय 5.30 बजे से 7.40 तक जूम एप के माध्यम से आयोजित गई।दो घण्टे तक चली आनलाइन काव्य गोष्ठी में डॉ.संजय चौहान मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित हुये। 25 के करीब कवि/लेखकगण रचनाकारों ने हिंदी में अपनी रचनाएँ प्रस्तुत की। महासचिव डॉ.पूर्णिमा राय ने गायत्री मंत्र के जाप से कार्यक्रम का आगाज़ किया एवं उपस्थित सभी वक्ताओं एवं श्रोताओं का अभिनंदन किया। सर्वप्रथम चेयरमैन गुरवेल कोहालवी ने मुख्य अतिथि डॉ संजय चौहान तथा वरिष्ठ रचनाकार प्रेम सागर कालिया जी का स्वागत करते हुये गुरुमुखी दे वारिस पंजाबी वेल्फेयर सोसायटी द्वारा करवाई जा रही गतिविधियों पर प्रकाश डालते कहा कि पंजाबी के साथ हिंदी भाषा का प्रचार प्रसार करने के उद्देश्य से डॉ पूर्णिमा राय (महासचिव) को हिंदी काव्य मंच का कार्यभार सौंपा गया है। कोहालवी ने अपनी मधुर आवाज में अपनी रचना "बन्दिशें न होती" पेश की। मंच संचालन करते हुये डॉ.पूर्णिमा ने कहा कि पंजाबी हिंदी भाषा की दीवार गिराने के लक्ष्य से ही उन्होंने इस जिम्मेदारी को स्वीकारा है क्योंकि कवि कभी भाषागत झगड़ों में नहीं पड़़ते,वे सदैव सर्वहितकारी सृजन को बढ़ावा देते हैं। मनदीप भदौड़ ने "तुम प्रेम नहीं कर सकोगे"/उपेन्द्र यादव ने "सृष्टि चल रही है"/मुक्ता शर्मा त्रिपाठी ने "मुक्तक चाँद की चाँदनी रोशन रहे" तथा "ढूँढता हूँ"
सतिन्द्रजीत कौर ने "हौंसला"/डॉ सोनिया शर्मा ने "जब से तुम गई हो बेटी "/कवि प्रेम पाल ने" ना मारो माँ"/बलकार सिंह गोगी ने "समय की धार"/लवप्रीत सिंह ने "अच्छा मित्र"/निर्मल कौर ने "जिंदगी शुरू होती है"/गगनप्रीत सप्पल ने "माँ जैसा कोई नहीं"/अनवर हुसैन ने "नोट " व्यंग्य रचना/प्रेम सागर कालिया जी ने कुण्डलियाँ छंद में लिखी "कविता ऐसी बांचिए","भाषाएँ है निर्दोष" हास्य व्यंग्य लबरेज रचनाएँ पेश की। /डॉ. दीपक ने "अंधेरी रात और परी "/ डॉ नीलू शर्मा ने "हमारी मेहनतों का सिला"
/राजीव यादव ने" बुरा न करना "/जसविन्द्र कौर जस्सी ने "आशा"/डॉ.पूर्णिमा राय ने "गज़ल -मुफलिसी के दौर में भी मुस्कुराना चाहिए"/ आदि रचनाएँ पेश करके सब का मन मोह लिया।इस कार्यक्रम की खूबी यह थी कि इस में शामिल एक ओर ऐसे रचनाकार थे जिन्होंने पहली बार हिंदी में अपनी रचना पेश की। दूसरी ओर मंझे हुये हिंदी भाषी दिग्गज रचनाकार भी इस में सम्मिलित थे।इस काव्य गोष्ठी में एक ओर बीस वर्षीय युवा रचनाकार थे वहीं दूसरी ओर 84 वर्षीय सागर पंडित जी भी उपस्थित थे जो अन्त तक आयोजन से जुड़े रहे। मैडम अशविंद्र कौर,जतिन्द्र कौर, अमित कौर विशेष रूप से उपस्थित रहे। डॉ.संजय चौहान मुख्य अतिथि ने "अब तुम याद बहुत आते हो" रचना पेश करने के साथ सभी रचनाकारों की प्रशंसा करने के साथ गुरवेल कोहालवी एवं डॉ पूर्णिमा राय को कार्यक्रम के सफल आयोजन पर साधुवाद कहा।
गुरमुखी दे वारिस हिंदी काव्य मंच की ओर से सभी प्रतिभागी रचनाकारों, श्रोताओं एवं अतिथिगण को प्रशंसा पत्र भी दिये गये।
साभार
"गुरुमुखी देे वारिस हिंदी काव्य मंच"
गुरवेल कोहालवी(चेयरमैन)
डॉ.पूर्णिमा राय(महासचिव)
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