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Showing posts from December, 2021

भीगी सी तन्हाई

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भीगी सी तन्हाई (कविता) बड़ी सहजता से मुझसे  पूछा- मेरे शुभ चिंतक ने ,आप सपरिवार कैसे हैं? मैंने भी सहजता से कह दिया,सब अलग-अलग हैं,सब अपनी दुनिया में व्यस्त हैं! अपने हिस्से की जिम्मेदारी           को  निभा रही हूं आंखों के आंसुओं को     दुपट्टे की ओट में छिपा रही हूं!! बस दुनियादारी के लिये        टूटे रिश्तों को संजो रही हूं ना चाहकर भी लबों पे       झूठी मुस्कान सजा रही हूं किसी के आने की     आहट का इन्तजार कर रही हूं मत पूछें कि मैं कैसी हूं मैं आज  भी वैसी हूं जैसे सदियों से पूर्णिमा हुआ करती है आसमान में अपने साथ अधूरेपन का एहसास लिये इस गुमान में कि मैं पूर्ण हूं , कब तक जिऊंगी, यह अधूरी जिन्दगी दिखावे की मुस्कान संग पर क्या कहूं लाख कोशिशों के बावजूद भी "पूर्णिमा" अधूरी ही रही भीगी सी सर्द तन्हाई में भीगी सी आंखों में यादों की नमी, आज भी दिल को भिगो रही हैं ,तड़पा रही है डॉ पूर्णिमा राय, पंजाब

याद बहुत ही तुम आते हो

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याद बहुत ही तुम आते हो कहती हूँ मैं दिल की बातें, तुम भी दिल से ही सुनना। याद बहुत ही तुम आते हो ,और नहीं है कुछ कहना।। मैं तो हूँ इक टूटी नौका ,बीच भँवर में अटकी हूँ, मन का चप्पू पाने खातिर, मैं तो हर पल भटकी हूँ । हे प्रिय! ये जीवन अब तो,बोझिल लगता है तुम बिन, मन की लहर किनारा चाहे ,सागर ठगता है तुम बिन। खारे पानी जैसा बनके ,और नहीं मुझको बहना।। याद बहुत ही............................ .................।। दर्पण में मैं अक्स निहारुँ, रूप तुम्हारा दिखता है, धूप छाँव की इस दुनिया में ,प्रेम हमेशा फलता है। पागलपन की हद में देखो , मीरां कहते लोग मुझे, राधा रानी कृष्ण तुम्हारी, इश्क हकीकी रोग मुझे।। डोर टूटती साँसों की अब ,रूह "पूर्णिमा" सँग रहना।। याद बहुत ही............................ drpurnima01.dpr@gmail.com

कागज की नाव

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कागज की नाव  उम्र के नाज़ुक पड़ाव पर सोचा था कि तन्हाई साथ नहीं होगी, पर यह ना पता था कि सिर्फ और सिर्फ तन्हाइयां ही हमेशा साथ रहेंगी। झुकते रहे हम हमेशा इस ख्याल में कि कभी तो सिर उठाकर जी पाएंगे, पर नहीं जानते थे कि हमारा सिर झुकाना कमर का टूट जाना होगा!! तन्हाई भी अक्सर जगा जाती है आत्मविश्वास मन में, कोई ना भी रहे साथ तो क्या फर्क पड़ता है जब यादों का सहारा हो साथ में! हर एक इंसान जरिया है एक दूसरे की खुशी और गमी का, पर अक्सर दौलत के जुनून में यां अपने अहम के जाल में फंस कर भूल जाते हैं कि हम इंसान हैं, भगवान नहीं। और कर बैठते हैं भूल जिससे रिश्ते संभलने की जगह टूटने के कगार पर पहुंच जाते हैं।। रिश्ते तो कागज की नाव की तरह थे पानी में जाते ही खो बैठे अपना अस्तित्व।। drpurnima01.dpr@gmail.com

अखबार की कहानी अखबार की ज़ुबानी

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 अखबार की कहानी अखबार की ज़ुबानी हर सुबह चौंक में एक बड़ी गाड़ी आती है ,जहाँ बहुत से लोग प्रतीक्षा करते हैं...मेरी नहीं !!गंतव्य स्थान पर ले जाने वाली बस,मोटरगाड़ी की!!क्यों ,क्या हुआ?आपको !!यह सुनकर !!कोई था एक जो बेसब्री से मेरा इंतजार करता था ---पढ़ने के लिये नहीं ,जनाब!मुझे बंडल में बाँधकर बेचने के लिये!!उनींदी आँखों में रंग बिरंगे सपने लिये वह हॉकर (अखबार बाँटने वाला)साढे चार बजे मुझे प्राप्त करके गठरी बाँधकर जिस जोश और उत्साह से साइकिल पर जैसे-जैसे पैडल मारता है,वैसे ही मेरे मन का अहम् जाग जाता ।और साइकिल के कैरियर पर लदा हुआ मैं इतना खुश होता कि आज तो मैं दूसरे अखबार को पछाड़ कर सबसे ऊपरी सिंहासन पर सुसज्जित हूँ।पर आह !कितना दर्द !उस रस्सी का सहन किया जो बड़ी मजबूती से मुझे जकड़े हुई थी ! अभी यह सोच ही रहा था कि हॉकर ने झटके से रस्सी खोली और मुझे छोड़कर अन्य अखबार को सबसे पहले बुजुर्ग मीर साहिब जो एक जमाने में अफसर थे,उनके दरवाजे से धड़म से पार करते हुये आँगन में पटक दिया। भई,हम ठहरे ,आज के अखबार जो अभी अपनी अहमियत सिद्ध करने में लगे हुये हैं!वह अखबार जो प्रसिद्ध हैं ,वह कहाँ फटकने ...

दिल से हो जाती है दिल्लगी

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दिल से हो जाती है दिल्लगी    दिल से हो जाती है दिल्लगी  दिमाग लगाकर ना होगी बंदगी ।। दिल कहता है  बस तू रहे हमेशा  पास मेरे दिमाग की मानूं  तो नहीं डूब पाती हूं  ख्यालों में तेरे।। दिल कहता है ,दूर हवाओं में उड़ जा, कहीं दूर सपनों में खो जा। लेकिन दिमाग रखता है मुझे हमेशा  मेरी जमीन से जोड़कर, कर्तव्य अधिकारों में हरसू समेट कर।। जो दिल कहता है वह कर नहीं पाती हूं, दिमाग की बातों में मैं आ नहीं पाती हूं।  अब कैसे दोनों में करुं सामंजस्य , कैसे भुला दूं मैं सारा वैमनस्य।। नारी हूं मैं यह सोच कर संभल जाती हूं,  एक पल के लिये दिल को समझा लेती हूं। दिमाग से में मैं पुरुष भी बन जाऊं  पर वास्तव में नारी हूं , दिल की बातों में कैसे आ जाऊं।  दिल की बातों में मैं कैसे आ जाऊं। डॉ पूर्णिमा राय, शिक्षिका एवं लेखिका पंजाब