नशा पाप का मूल है,करता पाप विनाश


नशा पाप का मूल है,करता पाप विनाश 





आज सबसे बड़ी सामाजिक समस्या मुँह खोले खडी है _युवाओं का नशे के चंगुल में फंसना। श्री गुरु नानक देव जी ने लिखा है__

"भांग मछली सुरापान,जो जो प्राणी खाए।
धर्म कर्म सब किये ते,सभी रसातल जाए।।"

नशे के सेवन से इंसान का यह अनमोल जीवन समय से पहले ही मौत का शिकार हो जाता है।देश के कर्णधार 9० प्रतिशत युवा आज सबसे ज्यादा नशे के शिकार हैं। देश की उन्नति में अपनी उर्जा लगाने के स्थान पर वह अपनी अमूल्य शारीरिक और मानसिक सामर्थ्य चोरी, लूट-पाट और हत्या जैसे जघन्य अपराधों में व सामाजिक कुरीतियों में नष्ट कर रहे है। जब से बाजार में गुटका पाउच का प्रचलन हुआ है, तबसे नशे की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। आज बच्चे से लेकर बुजुर्ग भी गुटका पाउच की चपेट में है।
घर -गृहस्थी संभालने वाली नारी भी अब इससे दुष्कर्म से अछूती नहीँ रही। यह अत्यंत दुखद है कि नशा करने वाला हर व्यक्ति जानता है कि नशे की आदत उसके लिए नुकासानदायक है, बावजूद इसके इस प्रवृत्ति में लगातार बढ़ोतरी देखी जा सकती है।       यह ठीक है कि जहाँ तकनीकी विकास हुआ है, वहीं नशे के सेवन में भी नये ढंग ,उपाय अस्तित्व में आये हैं।एक समय था जब युवा वर्ग शराब और हेरोइन जैसे मादक पदार्थो का नशा ही करता था लेकिन अब वह कुछ दवाओं का इस्तेमाल नशे के रूप में करने लगा है।वह इन घटिया व सस्ती दवाओं को आसानी से प्राप्त कर लेता है क्योंकि धन पाना व सुविधाओं को हासिल करना आज हर व्यक्ति के जीवन का लक्ष्य बन गया है।मादक पदार्थों का सेवन उसे विनाश के मार्ग की ओर ले जा रहा हैं।वह अपने स्वयं का ,परिवार का, समाज का,देश व राष्ट्र को विनाश के गर्त में धकेल रहें हैं___
    नशा पाप का मूल है,करता पाप विनाश
   शून्य जीवन जी रहे,खेलें दिन-भर ताश।

विवेकहीनता से सरोबार युवा पथभ्रष्ट होकर दिशा की तलाश में भटकता है पर अफसोस सर्वत्र घृणा के उसे कुछ हासिल नहीं होता।व्यसनी युवा का यही ध्येय होता है कि वह उचित अनुचित साधनों से अपने नशे की प्राप्ति के लिये धन एकत्र करे।धन की बर्बादी के साथ साथ वह अपना स्वास्थ्य भी खो देता है।____
      गुटका,बीड़ी,पान से, पैसा हो बर्बाद।
     खाकर मुख छाले पड़े ,सेहत हो बर्बाद।।

महात्मा बुद्ध ने कहा है_"शराब से भयभीत रहना,क्योंकि यह पाप और अत्याचार की जननी है।"
मनु ने मनुस्मृतियाँ में मदिरा को महापातक बताया है।कौरव व पाण्डव मद्य के कारण ही जुए के अभ्यासी हुये तथा राष्ट्रीय कर्तव्य को भूल गये।
नशा बुद्धि का लोप कर देता है।यथा__
    
    "बुद्धिं लुम्पति यद् द्रव्यं मदकारी तदुच्युते।"

रक्त में जैसे जैसे शराब की मात्रा का स्तर बढता जाता है वैसे वैसे मादक द्रव्य का असर अधिक होता जाता है_मन की परिवर्तन तर्क शक्ति कम हो जाती है,निर्णय क्षमता का हनन होना व नशे में प्रतिक्रिया करना, नियंत्रण के स्तर में  गिरावट आना, संतुलन बिगड जाना, विचारों के तालमेल और समन्वय में कठिनाई खड़ी होना, इधर उधर झूमने लगना ,संवेदना में कमी ,अनिश्चित भावनाओं का विकास, सचेत ना रहना,अर्द्ध चेतना की कमी, शून्य हो जाना तथा  फिर अन्त में  मृत्यु का ग्रास बन जाते हैं।मादक पदार्थो की अधिकता कैंसर जैसे रोगों को जन्म देती है। वह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र की प्रतिक्रियाओं को धीमा कर देता है। नशे के दौरान मूर्च्छित होना संभावित है ।एक व्यक्ति का रक्तचाप, नाड़ी, संचार और नर्वस सिस्टम के रूप में और श्वसन में कमी आ जाती है। बीमारी से लड़ने की क्षमता कमजोर पड जाती है तथा रक्त में पोषक पदार्थों की कमी हो जाती है।
निम्न पंक्तियाँ ऐसे मानव की दशा का चित्रण करती हैं।________
     मुरझाये मुखड़े दिखे, लगता कैंसर रोग।
      सूखी टहनी तन दिखे,दर-दर भटकें लोग।।
           
इस बुराई के सबसे बड़े जिम्मेदार हम ,आप,अभिभावक ,पारिवारिकमाहौल ,सामाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्था है। आज की चकाचौंध भरी जिंदगी में आधुनिकता की दौड में लोग स्वार्थी हो गए उनकी सोच मैं तक सीमित हो गई है।एकल परिवार ,टूटते रिश्ते ,वैयक्तिक स्वार्थ जहां नशे की ओर अग्रसर करने वाले बीज हैं ;वहीं मानवीय इच्छायें ,धन की भूख ,सामाजिक व राजनीतिक व्यवस्था  तथा मुँह खोलती दिन प्रतिदिन बढ रही समस्यायें__बेरोजगारी ,मंहगाई ,जनसंख्या वृद्धि आदि नशे के बीज को पनपने व विकसित करने में अहम् योगदान दे रहे हैं।
            राज्य शासन द्वारा विगत छह जून को नशामुक्ति महारैली का आयोजन किया गया था, जिसमें प्रदेश के 18 जिले के 146 विकासखंड और उससे संबंधित गांवों के जनप्रतिनिधियों ने भाग लिया ,वहीं शैक्षिक संस्थाएं, महिला स्व:सहायता समूह और जनसामान्य ने बड़ी संख्या में सम्मिलित होकर इसे सफल बनाया था। शासन के सहयोग से स्वैच्छिक संस्थाओं द्वारा राजधानी रायपुर में संकल्प व्यसन मुक्ति केंद्र तथा माँ डिंडेश्वरी नशा मुक्ति केंद्र बिलासपुर के नजदीक सिरगिट्टी में संचालित है जो निशुल्क लोगों का उपचार करते हैं ।अब तो हरेक राज्य में  नशा मुक्ति केन्द्र सक्रिय भूमिका निभा रहें हैं।नशा निवारणी सभाएं स्थापित की गई हैं ।जो अपने स्तर पर लोगों में नशे के विरूद्ध चेतना पैदा करती हैं ।गुजरात जैसे प्रान्त से प्रेरणा लेनी चाहिये वह नशा मुक्ति में सबसे आगे है ।कहते है मानव वही कार्य बार-बार करता है जो वर्जित हो ,जो अनुचित
हो ।इसलिये ऐसे विज्ञापनों पर पाबन्दी हो जो नशे को बढावा देते हो।नशे की रोकथाम में किये जाने वाले प्रयासों को मीडिया ,समाचारों ,रेडियो पर बताया जाना चाहिये ताकि सकारात्मक झुकाव एवं नजरिया बन सके।यह ठीक है कि हर साल विश्व स्तर पर नशा मुक्ति दिवस २६जून को मनाया जाता है व नशे के दुष्प्रभाव से अवगत करवाकर जागृति पैदा की जाती है।जब तक आत्म -नियन्त्रणनहीं होता,  जब तक युवा मन की शक्ति को एक सही दिशा नहीं मिलती तब तक सब प्रयत्न निष्फल हैं ।
अन्त में यही कहूंगी__
नशे के फंदे से बचें,स्वस्थ हों दिन-रैन।।
कलह-क्लेश सब हैं मिटे, घर में हो सुख-चैन।

    'पूर्णिमा' की कामना,नशा मुक्त संसार।
     बच्चे सब पढ़े-लिखें,दूर हों व्यभिचार।।

   डॉ०पूर्णिमा राय (7087775713)

(MA.B.Ed,Ph.D)

शिक्षिका एव लेखिका


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