गवाही


 गवाही 


आज 14नवंबर "बाल दिवस" के रूप में जाना जाता है क्योंकि इस दिन स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री श्री जवाहरलाल नेहरू जी का जन्म दिन है।जो बच्चों से बेहद प्यार करते थे।बच्चे प्यार से उनको चाचा नेहरू पुकारते थे।गुलाब के फूल जैसे बच्चों के लिये एक दिन मनाने की पुण्य भावना को चिरस्थाई रखने के लिये ही 14 नवंबर का दिन नियत किया गया था।कहते हैं बच्चे भगवान का रूप हैं।शायद सच भी है।पर समय परिवर्तन के साथ -साथ बच्चों के प्रति समाज के लोगों के बदलते व्यवहार को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता।बाल मजदूरी की समस्या दिनोंदिन बढ़ रही है चाहे समाजसेवी संगठन इस दिशा में विशेष सहयोगात्मक रूख अपना रहें हैं फिर भी आये दिन सड़कों पर चार पाँच साल से लेकर 13-14 वर्ष के बच्चे छोटी-छोटी चीजें --मूँगफली,चने,झंडे,गुब्बारे ,दिये ,समाचारपत्र आदि बेचते नज़र आ ही जाते हैं।बीते दिनीं हम लोग कार से जा रहे थे ।रास्ते में अचानक जमीन पर एक नुक्कड़ में छोटी सी तरपाल डालकर एक अस्थाई दुकान बनी हुई थी जिसमें मूँगफली,चने गर्म करके बेचे जा रहे थे।सर्दी आ रही है ,सोचा थोड़ी गर्म मूँगफली खरीद ली जाये।यही सोचकर गाड़ी रोक ली।जब मैं सामान लेने के लिए दुकान के पास गयी तो हैरान रह गई ।भट्ठी में आग जल रही थी ।वहाँ तीन बच्चे थे जो महज 3-4-5 साल की उम्र के होंगें।बच्चे हैं ,ये सोचकर मैंने पूछा ,तुम्हारे पिता जी कहाँ हैं?यहाँ कोई बड़ा नहीं हैं ।मेरी बात सुनते ही पाँच साल का बालक फुर्ती से बोला,मैं हूँ न ..इन सबसे बड़ा!! बतायें ,आपको क्या चाहिये?मेरे कहने पर उसके अन्य भाईयों ने शीघ्रता से कुछ चने,मूँगफली गर्म की और लिफाफे में पैक कर के बनते हुये रूपये मेरे हाथों से लेकर बाकी के मेरे हिस्से के रूपये मुझे पूरी समझदारी से वापिस कर दिये। मैंने पूछा,कौन से स्कूल जाते हो ?तब वह बोले,हम नहीं स्कूल जाते ।बिना स्कूल जाने वाले बच्चों की होशियारी देखकर मैं दंग रह गई।मात्र चड्डी ही पहने हुए वे बच्चे बाल दिवस की गवाही नित्य- प्रतिदिन दे रहे थे।उन बच्चों का अक्स आज भी मेरी आँखों के समक्ष घूमता रहता है ।आज के माहौल में सामान्य जन अपने बच्चों का ही पालन पोषण अच्छे से कर लें,इतना ही काफी है।गरीबों और वंचितों के बच्चों को और कुछ नहीं दे सकते तो मात्र प्रेम और अपनत्व के दो बोल ही सुना दें ,शायद इससे उन बच्चों के जीवन का खालीपन भर जाये।उनके मुरझाये चेहरें खिल जायें!!एक प्रयास सिर्फ एक बार!!

डॉ.पूर्णिमा राय, पंजाब 

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