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Showing posts from August, 2021

ਪੰਜਾਬੀ ਅਣਡਿੱਠਾ ਪੈਰਾ : ਆਓ ਗਿਆਨ ਵਧਾਈਏ

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  ਪੰਜਾਬੀ ਅਣਡਿੱਠਾ ਪੈਰਾ ( 12 NOV COUNTDOWN ) 1. ਹੇਠਾਂ ਲਿਖੇ ਪੈਰੇ ਨੂੰ ਪੜ੍ਹ ਕੇ ਪ੍ਰਸ਼ਨਾਂ ਦੇ ਸਹੀ ਉੱਤਰਾਂ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰੋ : ਜਦੋਂ ਮਨੁੱਖ ਨੇ ਧਰਤੀ ਥੱਲੇ ਪਾਣੀ ਲੱਭ ਲਿਆ ਹੈ ਤਾਂ ਹੀ ਉਹ ਦਰਿਆਵਾਂ ਦੇ ਕਿਨਾਰਿਆਂ ਤੋਂ ਪਰ੍ਹੇ ਪਿੰਡ ਵਸਾਉਣ ਦੇ ਯੋਗ ਹੋਇਆ। ਜਦੋਂ ਉਸਨੇ ਅੱਗ ਬਾਲਣੀ ਸਿੱਖ ਲਈ ਤਾਂ ਹੀ ਉਸਨੇ ਰਿੰਨ੍ਹਣਾ-ਪਕਾਉਣਾ ਆਰੰਭ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਅਨਾਜ ਵੀ ਉਸਦੇ ਆਹਾਰ ਦਾ ਭਾਗ ਬਣਿਆ। ਜਦੋਂ ਉਸਨੇ ਪਾਣੀ ਦੇ ਨਵੇਂ ਸਰੋਤ ਲੱਭ ਲਏ ਤਾਂ ਉਸਨੇ ਟਿਕਾਉ ਜੀਵਨ ਜਿਉਣਾ ਆਰੰਭ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਜਦੋਂ ਉਸਨੇ ਜਾਨਵਰਾਂ ਦਾ ਸੁਭਾਅ ਸਮਝ ਲਿਆ ਤਾਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸ਼ਿਕਾਰ ਕਰਨ ਦੇ ਨਾਲ਼-ਨਾਲ਼ ਮਨੁੱਖ ਨੇ ਜਾਨਵਰ ਸ਼ਕਤੀ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਹਿੱਤ ਲਈ ਵਰਤਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਪੈਦਲ ਚੱਲਣ ਦੀ ਬਜਾਏ ਉਸਨੇ ਘੋੜੇ ਆਦਿ ਦੀ ਸਵਾਰੀ ਕਰਨੀ ਆਰੰਭ ਕਰ ਦਿੱਤੀ ਅਤੇ ਇੱਕ ਥਾਂ ਤੋਂ ਦੂਜੀ ਥਾਂ ਜਾਣ ਦੀ ਰਫ਼ਤਾਰ ਵਿੱਚ ਵਾਧਾ ਕੀਤਾ। ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਦੇ ਧੰਦੇ ਵਿੱਚ ਆਪਣਾ ਵਾਰਸ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਦੀ ਇੱਛਾ ਨਾਲ਼ ਉਸਨੇ ਵਿਆਹ ਨਾ ਦੀ ਸੰਸਥਾ ਉਸਾਰੀ ਅਤੇ ਰਿਸ਼ਤਾ-ਨਾਤਾ ਪ੍ਰਬੰਧ ਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਆਇਆ। ਇੱਕ ਥਾਂ ਟਿਕ ਜਾਣ ਕਾਰਨ ਰਸਮ-ਰਿਵਾਜ, ਦੇਵੀ-ਦੇਵਤੇ ਅਤੇ ਮੇਲੇ-ਤਿਉਹਾਰ, ਸ਼ਗਨ-ਅਪਸ਼ਗਨ, ਸਾੜਾ-ਈਰਖਾ, ਮੇਲ-ਮਿਲਵਰਤਨ ਆਦਿ ਹੋਂਦ ਵਿੱਚ ਆਏ, ਇਵੇਂ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਮਨੁੱਖੀ ਸੱਭਿਅਤਾ ਦੀ ਮਾਂ ਹੋ ਨਿਬੜੀ। ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਦੇ ਵਿਕਾਸ ਨਾਲ਼ ਹੀ ਪਿੰਡ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਹੋਇਆ। ਪਿੰਡ ਦਾ ਨਿਰਮਾਣ ਉਦੋਂ ਹੀ ਸੰਭਵ ਹੋਇਆ ਜਦੋਂ...

अपठित गद्यांश :आओ NAS तैयारी करें

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   अपठित गद्यांश :आओ NAS तैयारी करें 1.निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उसके नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दें: - भारत के वीर देश की आज़ादी की रक्षा की खातिर सदैव कुर्बान होने को लालायित रहते हैं। उनका ध्येय मात्र राष्ट्रीय पुरस्कार या सम्मान पाना ही नहीं होता बल्कि वे देश व देशवासियों की सुरक्षा के लिए शहीद होने में गौरवान्वित महसूस करते हैं। ऐसे ही बुलन्द हौसले वाले, अटूट साहसी, जिन्हें मौत का डर न था। वे थे स्काड्रन लीडर अनिल शर्मा उर्फ 'नीलू'। बाल्यकाल से ही दृढ़ निश्चयी नीलू अपनी बड़ी बहन 'शुभला' का दाखिला करवाने गए पिता से जिद्द पर उतर आए कि उन्हें भी स्कूल में भर्ती करवाया जाये। भला बाल हठ व दृढ़ निश्चय के सामने कौन नहीं झुकता ? पिता को उनका दाखिला चार वर्ष की आयु में ही प्रथम कक्षा में करवाना पड़ा। प्रश्न:- 1. अनिल शर्मा कैसे व्यक्ति थे? * क)अटूट साहसी ख) बुलन्द हौसले वाले ग)जिन्हें मौत का डर न था घ)उपरोक्त सभी .प्रश्न :-2भारती य जवान किस बात को लालायित रहते हैं? * क) सम्मान पाने को ख) पुरस्कार पाने को ग) देश की खातिर कुर्बान होने को घ) स्काड्रन लीडर बन...

रक्षाबंधन आ गया बहना का ले प्यार -डॉ पूर्णिमा राय

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रक्षाबंधन आ गया बहना का ले प्यार -डॉ पूर्णिमा राय रक्षा-बन्धन आ गया, बहना का ले प्यार। दिवस 'पूर्णिमा' कर सजे, रक्षाबंधन तार।। आत्मीयता और स्नेह के बंधन से रिश्तों को मजबूती प्रदान करने का पर्व रक्षाबंधन श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भारतीय समाज में व्यापकता और गहराई से समाए हुए इस पर के दिन लड़कियाँ और महिलाएँ पूजा की थाली सजाकर अपने भाई को राखी बाँधने के लिए जाती है। अभीष्ट देवता की पूजा करने के बाद रोली या हल्दी का टीका लगाकर भाई की आरती उतारती है और दाहिनी कलाई पर राखी बाँधती हैं। इसके बदले में भाई बहन की रक्षा का वचन लेता है और उसे उपहार में कोई धनराशि या कोई अमूल्य वस्तु प्रदान करता है। रक्षाबंधन तार, राखियाँ प्यारी चमके । शाश्वत केवल प्यार, बहन के मुख पे दमके। राखी के रंग-बिरंगे धागे बहन-भाई के रिश्ते को दृढ़ता प्रदान करते हैं। बहन-भाई के प्रेम का सूचक यह त्यौहार देशकाल, भाषा-जाति की सीमाओं से परे गुरु- शिष्य कि रिश्ते को भी राखी के पवित्र धागों में बाँधता है। कहते हैं जब कभी शिष्य गुरुकुल से शिक्षा लेकर विदा होता था तो शिष्य अपने गुरु का आशीर्वाद पाने के लिए ...

तोटक छंद ज्ञान

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तोटक   छंद {112×4 चार   सगण  , लघु   लघु   गुरु , चार   चरण }        (1) चल   भाग   मुसाफिर   वक्त   चला  , जग   से   किसको   कब   प्रेम   मिला   ।। श्रम   के   मद   में   जन   चूर   हुये , दुख   रोग   मुसीबत   दूर   हुये।। सुख   आमद   आँगन   में   बिखरे , सजनी   रजनी   बनके   सँवरे।। हर   चाहत   में   खुशियाँ   सजती , जग   मानवता   जब   भी   फलती।।           (2) उजियार   करे   नित   सूरज   ये ; अँधकार   मिटे   जग   सूरज   से। मुख   घूँघट   ओढ़   लिया   रजनी ; नभ   चाँद   सुहावन   हे   सजनी। तपती   वसुधा   जल   को   तरसे ; बन   बादल   मेह   धरा   बरसे।। वन   की   लतिका   फल -...

प्रार्थना

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महा शृंगार छंद  ----   प्रार्थना   तुम्हीं   हो   जग   के   पालनहार विश्व   का   भला   करो   करतार। मिटा   कर   वैर   और   तकरार बसाओ   एक   नया   संसार।। तभी   हो   दुनिया   का   उद्धार गिरा   दें   वर्ग - वर्ण   दीवार। भरा   हो   भीतर   सबके   प्यार सजे   फिर   जन्नत   सा   संसार।। मिले   संबुद्धि   संग   संस्कार बने   पावन   निर्मल   व्यवहार। सूरत   सीरत   हो   एकसार खिले   जीवन   में   पुष्प   बहार।। अमोल   ज्ञान   का   गुरु   भंडार जले   दीपक   मिटेअंधकार। महकती   फिजा   ये   सद्विचार।। करें   दिलों   में   ज्ञान   उजियार।। ***********************  

गीतिका छंद

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गीतिका   छंद २१२२ २१२२  , २१२२ २१२ हर   बशर   सुख   चाहता   है  ,  सुख   मगर   मिलता   नहीं। दूर   कर   लें   खामियों   को ,     दुख   कभी   टिकता   नहीं।। जब   वफा   करने   लगेंगे  ,   प्रीत   महकेगी   तभी   । मान   दें   हम   दूसरों   को  , जीत   चहकेगी   तभी।।